कस्तुरी कुंडल बसै , मृग ढुंढै बन माहिं | ऐसे घट में पीव है,दुनिया जानै नहीं | explain its meaning
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कस्तूरी एक सुगन्धित जैलिनुमा प्रदार्थ (सूखने के बाद सख्त काले रंग का ) होता है जो की हिरणों के विशेष प्रजाति "कस्तूरी मृग"की नाभि से प्राप्त किया जाता है। यह नर कस्तूरी हिरण के नाभि (गुदा के पास एक ग्रंथि ) में होता है। हिरण से निकाल कर इसे सुखाने के बाद सुगन्धित प्रदार्थों और शराब आदि बनाने में कार्य में लिया जाता रहा है। चीन की प्राचीन चिकित्सा पद्धति में इससे कई प्रकार की ओषधियों का निर्माण भी होता है।
कुण्डली : नाभी
बसै : रहना।
मृग: हिरण।
बन : जंगल।
माहि: के अंदर।
घटी घटी : हृदय में।
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