'कश्मीरी सेब' कहानी में किस पर प्रकाश डाला है ?
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डीबी ओरिजिनल / 1932 से अब तक कश्मीर की पूरी कहानी
The Complete History of Kashmir Issue In Hindi— from 1932 till date; Jammu Kashmir Article 370 News Updates
नवनीत गुर्जर
नवनीत गुर्जर
Aug 06, 2019, 11:29 AM IST
कश्मीर देश के लिए एक दुखती रग रहा और आज भी बना हुआ है? कौन इसके लिए, किस हद तक जिम्मेदार है? किसने, किस हद तक इस मसले पर क्या- क्या कोशिशें कीं? सरदार पटेल के सचिव वीशंकर की किताब ‘सरदारपटेल का चुना हुआ पत्र व्यवहार’ के आधार पर...
नेहरू जी के भावुकतापूर्ण अविवेक से नाराज़ थे सरदार पटेल
महाराजा हरिसिंह के शासनकाल में जम्मू- कश्मीर का प्रशासन ठीक था। पहले पॉलिटिकल डिपार्टमेंट द्वारा चुने गए अधिकारियों के मातहत और बाद में गोपाल स्वामी अय्यंगार, महाराज सिंह और बीएन राव जैसे सुयोग्य भारतीय प्रशासकों के कारण। हालांकि, महाराजा खुद भी कार्यक्षम और परिश्रमशील शासक थे, परंतु उनके चरित्र में अनिर्णय अथवा असमंजस का भारी दोष था। 1932 में शेख अब्दुल्ला ने जो लोकप्रिय आंदोलन चलाया, उसके कारण शासन को उदार बनाने का पहला कदम उठाया गया। शुरुआत में यह कौमी आंदोलन था, जो मुसलमानों के हित की लड़ाई लड़ने के लिए खड़ा किया गया था।1939 में आंदोलन का कौमी स्वरूप खत्म कर दिया गया और पहले कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस के नाम से पहचाने जाने वाली उनकी संस्था अब नेशनल कांन्फ्रेंस हो गई। आगे चलकर इसे देसी राज्य प्रजा परिषद से जोड़ दिया गया।