Hindi, asked by rathoremahesh577, 1 month ago

कशमीर की शोभा के लिए कही गई पंकि्तयाॉ भेड़ाघाट के किस स्थान के लिए ठीक बैठती है तथा क्योंकश्मीर की शोभा के लिए कही गई पंक्तियां भेड़ाघाट भेड़ाघाट के किस स्थान के लिए ठीक बैठती है तथा क्यों कक्षा आठवीं पाठ 7 भेड़ाघाट का उत्तर चाहिए ​

Answers

Answered by pjdipke298gmailcom
38

Answer:

नर्मदा नदी जब भेड़ाघाट पर अत्यधिक ऊँचाई से नीचे गिरती है तो उसके दोनों किनारों पर खड़ी संगमरमरी चट्टानें उसे मानो अपनी भुजाओं में स्थान देती प्रतीत होती हैं। इसी प्रकार जब भी कोई व्यक्ति अथवा व्यक्तित्व जनसेवार्थ झुककर अथवा नत होकर कोई कार्य सम्पन्न करने हेतु चल पड़ता है, तो उसे समाज रूपी सुन्दर एवं मजबूत हाथ अपना सहारा एवं संबल

लेखक को सन् 1914 ई. में भेड़ाघाट देखने का अवसर मिला। भेड़ाघाट जबलपुर से तेरह मील दूर है। वह आधा घण्टे में मीरगंज स्टेशन पर पहुँच गया। उस समय रेलगाड़ी की यह गति बहुत तेज समझी जाती थी। दो-तीन अंग्रेज अपने खानसामे के साथ भेड़ाघाट जाने के लिए मीरगंज स्टेशन पर उतरे थे। नर्मदा नदी के भेड़ाघाट तक वहाँ सड़क कच्ची थी। नर्मदा नदी अमरकंटक से निकली है। नर्मदा का प्रवाह आठ सौ मील तक बहता है परन्तु भेड़ाघाट इसके उद्गम अमरकण्टक से एक सौ चौवामील की दूरी पर है। मुर्की और लोकेश्वर के बीचोंबीच भेड़ाघाट स्थित है। यह वह स्थल है जहाँ किसी युग में भृगु ऋषि ने तपस्या की थी।

यहाँ की संगमरमरी चट्टानें निर्मल और सुन्दर हैं। वहाँ की गम्भीरता प्रदर्शित करती है कि मानो वह ऋषि आज भी वहाँ अपनी तपस्या में लीन है। इन चट्टानों के ऊपर कोमल घास उगी हुई। चन्द्रमा की चाँदनी में चाँदी की तरह चमक उठती है और सूरज की तपिश में तप उठती हैं। बरसात में घना अंधकार सब ओर छा जाता है। लेखक को यहाँ के सौन्दर्य ने बहुत अधिक प्रभावित किया है। लेखक ने गौरीशंकर और चौंसठ योगिनियों के मन्दिर को भी देखा। इसके समीप ही दूध-धारा को देख लेखक चमत्कृत हो उठा। इस सब की घर-घर और मर-मर की आवाज अभी भी लेखक को अपने कानों में गूंजती प्रतीत होती है।

Explanation:

लेखक ने भेड़ाघाट देखा। वहाँ की सुन्दरता का प्रभाव लेखक के मन पर बहुत ही अधिक था। उसने सबसे पहले ग्वारीघाट तथा तिलवाड़ा देख लिया था। इन स्थानों की प्रकृति भी कम सौन्दर्यमयी नहीं थी। यहाँ की चट्टानें भी सतपुड़ा के शिखरों की गौरव थीं। इन प्राकृतिक उपादानों में उनकी विशालता ही शोभा थी जिसके महत्व को नहीं आंका जा सकता। दूध-धारा और धुआँधार भी अपने प्राकृतिक सौन्दर्य की आभा को बिखेर रही थीं। इन्हीं शिखरों के मध्य गौरीशंकर और चौंसठ योगिनी का मन्दिर है। नर्मदा के किनारों वाले बीहड़ जंगलों के मध्य इन मन्दिरों का निर्माण करना भी अपने आप में एक ऐतिहासिक सच्चाई है। लेखक को इन सभी स्थलों की सुन्दरता ने प्रभावित तो किया परन्तु उसके ऊपर भेड़ाघाट की सुन्दरता का मुग्धकारीप्रभाव चमत्कारिक है।


ritarajurkar22: radwa
ritarajurkar22: lawda
Answered by chaurasiyapoonam2000
0

Explanation:

थतथदध़झजथ़जथथणढभयछघढलध

Similar questions