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राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है। कई महिलाएं मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह बनाकर अपनी और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही है। अधॉव गांव की संध्या ने आजीविका मिशन से जुडी तो उनके परदेश में कमाने और घर परिवार की गाड़ी चलाने का सहारा मिल गया।
विकास खण्ड बबेरु के अंतर्गत ग्राम पंचायत अधॉव की संध्या की माली हालत सही न होने से पति परदेश में कमाते थे। पति परदेश में मेहनत मजदूरी करके जो पैसा बचाते थे वह अपने परिवार के लिए भेजते थे। पत्नी संध्या घर में ही रहकर घर परिवार का कामकाज देखती थी। 21 अगस्त 2017 को गांव में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की टीम आई तो उन्होंने एनआरएलएम के बारे में और स्वयं सहायता समूह के गठन करने पर जोर दिया साथ उससे होने वाले लाभ के बारे में बताया। घर की आर्थिक स्थिति मजबूत न होने पर संध्या मिशन से जुड़ने को तैयार हो गई। एक समूह बनाया और चंद पैसे जोड़े तो समूह चल निकला। पति परदेश में होने के चलते संध्या ने समूह की सदस्यों के साथ बैठक कर चर्चा की, कहा कि वह अपने पति को परदेश से यहीं रखना चाह रही है और रोजगार करवाना चाहती है। समूह के जरिए बैंक से ऋण लिया और माह अपै्रल 2019 में ई रिक्सा लिया। अब संध्या के पति दिनेश अपने घर परिवार में रहकर ई रिक्सा के जरिए पांच से छह हजार रुपए प्रति माह कमा रहे है। संध्या अब हंसी खुशी के साथ अपने पति और अपने परिवार के साथ जीवन यापन कर रही है तथा समूह के अन्य सदस्यों को भी विभिन्न रोजगार से जोड़ने के लिए जोर दे रही है। संध्या का गांव भभुवा कलस्टर प्रभारी हिमांशू सिंह ब्लाक मिशन प्रबन्धक के अंर्तगत आता है। एनआरएलएम में संध्या स्वयं सहायता समूह की सदस्य से जुडकर आगे बढ़ती रही और बुक कीपर के बाद अब ब्लाक रिसोर्स पर्सन तक का सफर तय किया है।
समूह की महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का किया जा रहा प्रयास
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के उपायुक्त केके पाण्डेय ने बताया कि एनआरएलएम के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। विभिन्न रोजगार परक प्रशिक्षण दिए जा रहे है जिससे वह गांव में ही रहकर कार्य कर सके। अधांव गांव की संध्या के बारे में बताया कि वह अब ब्लाक रिसोर्स पर्सन के रुप में कार्य कर रही है। जिन्हें 6 से 8 हजार रुपए मिल जाते है।