Hindi, asked by armaansaggar61, 11 months ago

कठपुतली गुस्से से उबली
बोली-ये धागे
व्यों हैं मेरे पीछे-आगे?
रहें तोड़ दो,
ये मेरे पाँवों पर छोड़ दो।
| सुनकर बोलीं और-और
कठपुतलियाँ
कहाँ,
बहुत दिन हुए
हमें अपने मन के छंद छूए।
मगर....
पहली कठपुतली सोचने लगी-
ये कैसी इच्छा
मेरे मन में जगी?
-भवानी प्रसाद मिश्र​

Answers

Answered by bhatiamona
1

इस कविता से संबंधित प्रश्न इस प्रकार हैं...

इस कविता के रचयिता कौन हैं?

उत्तर = इस कविता के रचयिता भवानी प्रसाद मिश्र हैं।

कठपुतली का जीवन कैसा था?

उत्तर = कठपुतली का जीवन धागों से बंधा हुआ था, यानि उसका जीवन बंधन में था।

कठपुतली को किस से परेशानी थी?

उत्तर = कठपुतली को अपने पाँवों से परेशानी थी, क्योंकि उसके पाँव धागे से बंधे थे, जिन्हें अपनी मर्जी से नहीं चला सकती थी।

कठपुतली गुस्से से क्यों बोल पड़ी?

उत्तर = कठपुतली गुस्से में इसलिए थी, क्योंकि वह स्वतंत्र होना चाहती थी, वह धागों के बंधन से परेशान थी।

कठपुतली का अर्थ क्या है?

उत्तर = कठपुतली यानी काठ से बनी पुतली, जिसे धागे से बांध कर रंगमंच पर लघु नाटिका के रूप में मनचाहा रूप से नचाया जाता है।

कठपुतली के मन में क्या इच्छा जगी?

उत्तर = कठपुतली के मन में यह इच्छा जागी कि मुझे आजाद होना चाहिए और अर्थात धागों को तोड़कर स्वतंत्र होना चाहिए|

Answered by aradhaydoshi110
1

Answer:

इस कविता से संबंधित प्रश्न इस प्रकार हैं...

इस कविता के रचयिता कौन हैं?

उत्तर = इस कविता के रचयिता भवानी प्रसाद मिश्र हैं।

कठपुतली का जीवन कैसा था?

उत्तर = कठपुतली का जीवन धागों से बंधा हुआ था, यानि उसका जीवन बंधन में था।

कठपुतली को किस से परेशानी थी?

उत्तर = कठपुतली को अपने पाँवों से परेशानी थी, क्योंकि उसके पाँव धागे से बंधे थे, जिन्हें अपनी मर्जी से नहीं चला सकती थी।

कठपुतली गुस्से से क्यों बोल पड़ी?

उत्तर = कठपुतली गुस्से में इसलिए थी, क्योंकि वह स्वतंत्र होना चाहती थी, वह धागों के बंधन से परेशान थी।

कठपुतली का अर्थ क्या है?

उत्तर = कठपुतली यानी काठ से बनी पुतली, जिसे धागे से बांध कर रंगमंच पर लघु नाटिका के रूप में मनचाहा रूप से नचाया जाता है।

कठपुतली के मन में क्या इच्छा जगी?

उत्तर = कठपुतली के मन में यह इच्छा जागी कि मुझे आजाद होना चाहिए और अर्थात धागों को तोड़कर स्वतंत्र होना चाहिए|

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