कठपुतली कविता का सारांश
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"कठपुतली" कविता में कठपुतलियां स्वतंत्रता की इच्छा से स्वयं अपनी बात व्यक्त कर रही है | उनके समक्ष स्वतंत्रता को साकार बनाने वाली चुनौतियां हैं | धागे में बंधी हुई कठपुतलियां पराधीन है | इन्हें दूसरों के इशारों पर नाचने से दुख होता है | दुख से बाहर निकलने के लिए एक कठपुतली विद्रोह कर देती है | वह अपने पांव पर खड़ी होना चाहती हैं | उसकी बात सभी कठपुतलियों को अच्छी लगती है | स्वतंत्र रहना कौन नहीं चाहता! लेकिन जब पहली कठपुतली पर सबकी स्वतंत्रता की जिम्मेदारी आती है, तब वह सोच समझकर कदम उठाना जरूरी समझती है |
उम्मीद है यह उत्तर आपकी मदद करेगा |
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FL dp do di TX di
Explanation:
am oz ask is so ua sb z
haddock
thi di id facing the same time as a child support of the same time as a child support of the same room rrr
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