Katwa pratyay Ka prayog karte hue 10 Shabd Banaye
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प्रत्यय" -- (1.) क्त्वा का "त्वा" शेष रहता है, क् हट जाता है । (2.) यह प्रत्यय भूतकाल में होता है । (3.) इसका अर्थ "करके" होता है । (4.) इससे बने शब्द अव्यय होते हैं । (5.) जब इसका वाक्य में प्रयोग किया जाता है।
तब यह प्रथम क्रिया में जुडता है, दूसरी क्रिया जो कि मुख्य क्रिया होती है, उसमें इसका प्रयोग नहीं होता । अर्थात् इसका प्रयोग गौण क्रिया के साथ किया जाता है । (6.) यह दो वाक्यों को जोडने का भी काम करता है । (7.) उदाहरणः---पठ्+क्त्वा = पठित्वावाक्यः---बालकः भोजनं कृत्वा विद्यालयं गच्छति ।इस वाक्य में भोजन करना प्रथम और गौण क्रिया है, इसी में क्त्वा का प्रयोग हुआ है। जबकि प्रधान और द्वितीया क्रिया जाना है जिसमें इसका प्रयोग नहीं हुआ । यहाँ करना रूप क्रिया समाप्त हो गई है। यह भूतकाल में है, जिसका अर्थ "करके" है। अर्थात् बालक भोजन करके विद्यालय जाता है ।इसकी प्रथम क्रिया तो भूतकाल में निश्चित है, किन्तु द्वितीय और प्रधान क्रिया किसी भी काल में हो सकती है। जैसेः---इसी वाक्य को देखें-
बालकः भोजनं कृत्वा विद्यालयम् अगच्छत् ।
बालकः भोजनं कृत्वा विद्यालयं गमिष्यति ।
बालकः भोजनं कृत्वा विद्यालयं गच्छेत् ।
बालकः भोजनं कृत्वा विद्यालयं गच्छतु ।
अब नियम संख्या (6.) देखें। यह दो वाक्यों को जोडने का काम भी करता है ।
जैसेः---बालकः भोजनं करोति । सः विद्यालयं गच्छति ।
ये दो वाक्य हैं। प्रथम वाक्य का कर्त्ता और द्वितीय वाक्य का कर्ता एक होना चाहिए, चाहे संज्ञाया सर्वनाम का प्रयोग हुआ हो । प्रथम वाक्य का कर्त्ता और कर्म को ले लें, उसकी क्रिया में क्त्वा का प्रयोग करेंः---बालकः भोजनं कृत्वा.....अब द्वितीय वाक्य के कर्त्ता को हटा दें, और शेष रहे कर्म और क्रिया को जोड दें---विद्यालयंगच्छति । अब इन दोनों वाक्यों को जोड देंः---बालकः भोजनं कृत्वा विद्यालयं गच्छति ।
इस प्रकार क्त्वा प्रत्यय का प्रयोग होता है । क्त्वा प्रत्यय से बने कुछ शब्द एकदम भिन्न होते हैं, इन्हें समझ लें और याद कर लेंः---
(1.) गम् क्त्वा गत्वा,
(2.) नृत् क्त्वा नर्तित्वा,
(3.) श्रु क्त्वा श्रुत्वा,
(4.) नी क्त्वा नीत्वा
(5.) दृश् क्त्वा दृष्ट्वा,
(6.) पठ् क्त्वा पठित्वा
(7.) स्था क्त्वा स्थित्वा
(8.) पच् क्त्वा पक्त्वा
(9.) भज् क्त्वा भक्त्वा
(10.) मन् क्त्वा मत्वा
(11.) यज् क्त्वा इष्ट्वा
(12.) रुह् क्त्वा रूढ्वा,
(13.) लभ् क्त्वा लब्ध्वा,
(14.) लिह् क्त्वा लीढ्वा,
(15.) वद् क्त्वा उदित्वा,
(16.) वप् क्त्वा उप्त्वा,
(17.) वस् क्त्वा उषित्वा
(18.) वह क्त्वा ऊढ्वा,
(19.) शास् क्त्वा शिष्ट्वा,
(20.) हन् क्त्वा हत्वा