कढ़ाई के किन्ही चार टाको का चित्र बनाएं
Answers
Answer:
कढ़ाई यानी रंग-बिरंगे धागों से सुई-धागे की मदद से कुछ ऐसा काढ़ना, जो कपडे की सुन्दतरता बढ़ा दे. पुराने जमाने में कढाई हाथों से ही की जाती थी, लेकिन वक्त बदलने के साथ ही आज कढ़ाई मशीनों से भी की जाने लगी है. कढ़ाई करना तब भी बारीकी और हुनर का काम था और आज भी आज भी हुनर का काम माना जाता है. एक साधारण-से कपडे को खूबसूरती के नए मायनों में बदलती कढ़ाई की जानिये कौन-कौन सी हैं किस्में-
1. कांथा कढ़ाई
kantha kadai
यह कढ़ाई बंगाल की प्राचीनतम कलाओं में से एक है. इस कढ़ाई में रंगीन धागों का खूबसूरती से प्रयोग किया जाता है. जिसमें फूल-पत्तियां,पशु और आम जनजीवन के दृश्यों को उकेरा जाता है.
2. चिकनकारी
chikankari kadai
यह लखनऊ की मशहूर कढ़ाई है, जिसमें महीन कपड़े पर सुई-धागे से तरह-तरह के टांकों द्वारा हाथ से कढ़ाई की जाती है. चिकन की कढ़ाई में भी कई तरह की किस्में हैं, जिसमें कई तरह के टांके और जालियां होते हैं जैसे-मुर्री, फंदा, कांटा, तेपची, पंखड़ी, लौंग जंजीरा, राहत तथा बंगला जाली, मुंदराजी जाजी, सिद्दौर जाली, बुलबुल चश्म जाली, बखिया आदि.
3. फुलकारी
phulkari kadai
रेशम के धागों से तरह-तरह की ज्यामितीय आकृतियों को बनाने की कढ़ाई ‘फुलकारी’ के नाम से जानी जाती है, जो खास तौर पर जम्मू और पंजाब में मशहूर है. फुलकारी में भी चार तरह की फुलकारी -बाघ, थिरमा, दर्शन द्वार और बावन फुलकारी ख़ास मानी जातीं हैं.
4. ज़रदोज़ी
zardosi kadai
यह एक बहुत पुरानी और बहुत लोकप्रिय कढ़ाई है, जिसमें असली सोने और चाँदी से ज़री बनाकर कढ़ाई की जाती थी, लेकिन समय के साथ असली सोने और चांदी के तारों (ज़री) का स्थान नकली तारों ने ले लिया और अब बेहतरीन सिल्क पर इसी ज़री का काम किया जाता है, जो बिल्कुल असली ज़री जैसा ही लगता है.
5. कशीदाकारी या कश्मीरी कढ़ाई
kashidakari kadai
ये कढ़ाई एक कपडे पर एक या दो स्टिच से की जाती है और इसमें आमतौर पर प्रकृति के खूबसूरत चित्र उकेरे जातें हैं. इस खूबसूरत कढ़ाई की शहरों के साथ-साथ फैशन इंडस्ट्री में भी ख़ासी मांग है.
6. सिंधी कढ़ाई
sindhi kadai
सिंधी कढ़ाई आमतौर पर लेडीज़ सूट्स, कुशन कवर्स आदि पर की जाती है. इसकी ख़ास बात ये है कि इस कढ़ाई को हैरिंग बोन स्टिच द्वारा केवल हाथ से ही किया जाता है, जबकि इसके साथ इस्तेमाल किया जाने वाला शीशे का काम मशीन के द्वारा भी किया जा सकता है. ये कढ़ाई देखने में भी बहुत खूबसूरत लगती है.
विविधताओं से संपन्न भारत के हर राज्य की तमाम खूबियों में से एक वहाँ की अलबेली कढ़ाईयाँ भी हैं. हर कढ़ाई की अपनी खासियत और अपने प्रशंसक हैं. ख़ास बात ये है कि सुई-धागों और कलात्मकता के इस खूबसूरत ताने-बाने के प्रशंसक केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बहुत से लोग हैं. ये बात बताती है कि अच्छी चीजों के कद्रदान सारी दुनिया में मौजूद हैं.