Hindi, asked by goyatsumit2005, 9 months ago

कवि बादल से वरज छिपा, नूतन कविता फिर भर दो कयो और किस परयोजन से कहते हैं? बताइए​

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Answered by itzankit21
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Answer:

बादल प्रकृति का अद्भूत सौंदर्य है जो सब जगह खुशी फैला देता। जब बादल छाते है तो मयूर नाचने लगते और मनमयूर भी नाचने लगते है। यह विभिन्न कार्यों से आवाहन कराते है।

कवि सूर्यकांत त्रिपाठी प्रार्थना करते है कि बादल गरजो और भयानक आवाज से गरजना करो। चारो ओर से गगन घेर लो और धराधर बरसो। इस प्रकार बरसों की धाराएँ गिरने लगे। बादलो के सुंदर-सुंदर घुंघराले बाल विभिन्न प्रकार के आकार बनाते है। बच्चे अपनी कलप्ना के आधार पर विभिन्न रूप और आकार बना लेते है और काल्पनिक आकार बना लेते है। कवियों को बादलों से नई कविताएँ लिखने की प्रेरणा प्राप्त होती है। नवीन सृजन (नई रचनाएँ, कविताएँ) करने की प्रेरणा मिलती है। आपके इस गरजना में क्रांति का हथियार छिपा है और अपने सौंदर्य से कवियों में नवीन कविताएँ लिखने की फिर उमंग भर दो।

कवि फिर प्रार्थना करते है कि बादलों गरजों। वह बादलों को गरजने की प्रर्थना इसलिए कर रहे हैं क्योंकि समस्त संसार गर्मी के कारण परेशान और उदास है। सम्पूर्ण संसार गर्मी के कारण तपा हुआ है (तपिश से भरा), जला हुआ है और सभी लोग इस गर्मी के कारण दुखी है। तुम किस दिशा से आओ, यह पता नहीं है और पूरी तरह से छा जाते है। इस तप्त धरती को अपने जल से प्यारा दूर कर दो और इस पृथ्वी को शीतल, शांत और तृप्त और (ठंडक) कर दो। कवि बादलों को फिर से गरजने की प्रार्थना करते है।

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