कवि फिराक गोरखपुरी जब दुखी होते हैं तो सबसे छिपकर क्यों रोते हैं?
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कवि फिराक गोरखपुरी जब दुखी होते हैं तो सब से छुपकर इसलिए रोते हैं, क्योंकि उन्हें दुनिया से डर लगता है। कवि अपने प्रिया के प्रति प्रेम भाव प्रकट करते हुए उसके विरह की आग में रो रहे हैं। लेकिन उन्हें दुनिया से डर लगता है कि दुनिया वाले उन्हें रोकेंगे, जिसके लिए वह छुप-छुप कर अपने प्रिया के विरह के गम में रोते हैं। वह अपनी किस्मत को रोते हैं, और उनकी किस्मत उनका दुख देखकर रोती है, क्योंकि उनकी किस्मत उनके लिये कुछ नही कर पायी।
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