कवि गिरिधर कविराय की दृष्टि में मित्र की परिभाषा
Answers
कवि गिरिधर कविराय की दृष्टि में मित्र की परिभाषा।
➲ कवि गिरिधर राय कविराय की दृष्टि में मित्र की परिभाषा है कि अधिकतर मित्र स्वार्थी होते हैं। जब समय अच्छा होता है, सुख होता है, पैसा होता है, तब ही साथ रहते हैं। विपत्ति आने पर, धन समाप्त हो जाने पर साथ छोड़ देते हैं और कन्नी काटने लगते हैं। सीधे मुंह बात नहीं करते। ऐसे मित्र बहुत कम मिलते हैं, जो विपत्ति की घड़ी में साथ दें और निस्वार्थ प्रेम करने वाले हों।
○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○
संबंधित कुछ अन्य प्रश्न—▼
साई अपने चित्त की, भूलि न कहिए कोइ।
तब लग मन में राखिए, जब लग कारज होइ।।
जब लग कारज होइ, भूलि कबहूँ नहिं कहिए।
7 दुरजन हँसे न कोइ, आप सियरे वै रहिए।।
कह गिरिधर कविराय, बात चतुरन की ताईं।
करतूती कहि देत, आप कहिए नहि साईं।।
https://brainly.in/question/13842458
○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○