कवि हर पुष्प से क्या खींच लेना चाहता है?
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कवि हर पुष्पों से आलस्य और निद्रा खींच लेना चाहता है।
‘ध्वनि’ कविता में कवि कहता है कि
पुष्प पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूंगा,
मैं अपने नवजीवन का अमृत सहर्ष सींच दूंगा मैं,
द्वार दिखा दूंगा फिर उनको,
है मेरे वे जहां अनंत
अभी ना होगा मेरा अनंत
ध्वनि कविता में कवि सुमित्रानंदन पंत कहते हैं कि रात भर सोए और अलसाई रहने वाले प्रत्येक पुष्प नवयुवक की नींद भरी आंखों से वह आलस्य को खींच लेना चाहता है अर्थात कवि का कहने का तात्पर्य है कि वह पुष्प का आलस दूर कर उन्हें जागरूक बनाना चाहता है ताकि वह हरे-भरे। इस तरह का कार्य करके कवि जीवन में आशा एवं उत्साह का संचार करना चाहता है।
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