कवि को महानाश के पोषक सूत्र कहाँ दिखाई देते हैं ?
sahi answer chahea
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कवि के अवरुद्ध गले से जब क्रोधित होकर गीत निकलता है तो ऐसा ही लगता है। कवि जब गाने लगता है तो कण-कण में उसकी ज्वाला फैल जाती है। तब ऐसा लगता हि जैसे किसी विषधर के फण में लगी मणि से ज्वाला फूट रही हो। भ्रू-विलास में महानाश के पोषक सूत्र परख आया हूँ।
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