Hindi, asked by bharatjain158, 4 months ago

कवि कभी भी मनमानी न करने को क्यों कहता है?​

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Answered by Anonymous
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Answer:

Question 1:

मगध के माध्यम से 'हस्तक्षेप' कविता किस व्यवस्था की ओर इशारा कर रही है?

ANSWER:

इस कविता के माध्यम से कवि आज के समय में विद्यमान शासन व्यवस्था की ओर संकेत करता है। इस शासन व्यवस्था में मगध के समान निरंकुशता का समावेश हो रहा है।

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Question 2:

व्यवस्था को 'निरंकुश' प्रवृत्ति से बचाए रखने के लिए उसमें 'हस्तक्षेप' ज़रूरी है – कविता को दृष्टि में रखते हुए अपना मत दीजिए।

ANSWER:

कवि बिलकुल सही कहता है। उसके अनुसार यदि हम शासन के मनमाने व्यवहार को सहते जाएँगे और हस्तक्षेप नहीं करेंगे, तो वह निरंकुश होती जाएगी। हमें उसके मनमाने व्यवहार को रोकने के लिए हस्तक्षेप करना पड़ेगा। हमारे हस्तक्षेप से शासन की नकेल कसी जा सकती है। शासन व्यवस्था को हमने बनाया है। अतः वह हमें जवाब देने के लिए बाध्य है। उसका कोई अधिकार नहीं है कि वह हमारे साथ मनमाना व्यवहार करें।

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Question 3:

मगध निवासी किसी भी प्रकार से शासन व्यवस्था में हस्तक्षेप करने से क्यों कतराते हैं?

ANSWER:

मगध निवासी डरते हैं कि यदि हम शासन व्यवस्था में हस्तक्षेप करेंगे, तो राजा हमारा विरोधी हो जाएगा। इस तरह हमें उसके कोप का भाजन बनना पड़ेगा। अतः वह शासन व्यवस्था के मनमाने व्यवहार को चुपचाप सेहते जाते हैं। यह स्थिति सही नहीं है। उनकी चुप्पी उन्हीं के शोषण का कारण बनती है।

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Question 4:

'मगध अब कहने को मगध है, रहने को नहीं' – के आधार पर मगध की स्थिति का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।

ANSWER:

मगध एक शक्तिशाली राज्य के रूप में विद्यमान था। इसकी समृद्धि और ताकत पूरे भारत में मानी जाती थी। लेकिन यह मात्र कहने के लिए था। मगध की जनता शासन व्यवस्था के निरंकुश व्यवहार से परेशान थी। लोगों को सताया जाता था। उन्हें शासन व्यवस्था की अनुचित माँगों के आगे घुटने टेकने पड़ते थे। अतः यह स्थान नागरिकों के लिए अब उचित नहीं था। जब वहाँ की जनता ही वहाँ प्रसन्न नहीं है, तो उसके नाम का कोई महत्व नहीं रहता है। यह स्थान लोगों के रहने के लिए अब बेकार था।

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Question 5:

मुर्दे का हस्तक्षेप क्या प्रश्न खड़ा करता है? प्रश्न की सार्थकता को कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

ANSWER:

मगध की शासन व्यवस्था निरंकुश हो चली थी। यहाँ के निवासी डर के मारे कुछ नहीं बोलते थे। उनकी बोलने-समझने की शक्ति क्षीण हो जाती है। वह अत्याचार झेलते हैं लेकिन हस्तक्षेप नहीं करते हैं। वह ऐसे जिंदा हैं, जो मरे के समान है। ऐसी स्थिति में मुर्दा बोलता है क्योंकि उसे डर नहीं लगता है। अब कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। अतः वह प्रश्न करता हुआ प्रतीत होता है कि मनुष्य को डर किससे लगता है।

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Question 6:

'मगध को बनाए रखना है, तो मगध में शांति रहनी ही चाहिए' – भाव स्पष्ट कीजिए।

ANSWER:

शासन व्यवस्था लोगों के साथ मनमाना व्यवहार करती है। लोगों में असंतोष को देखकर वह कहती है कि मगध की शांति के लिए उन्होंने आवाज़ नहीं उठानी है। यदि शासन में शांति व्यवस्था है, तो मगध है। विद्रोह होगा, तो मगध के अस्तित्व में आँच आएगी। अतः लोगों को शांति बनाए रखने के लिए दबाव डाला जाता है। उनका मत है कि हमारे प्रयास से ही मगध में शांति है। शासन व्यवस्था लोगों को इस तरह कहकर विरोध को रोकने का प्रयास करती है। वे जानती है कि लोगों का हस्तक्षेप विरोध की स्थिति को जन्म देगा और उनकी मनमानी समाप्त हो जाएगी। अतः वह शांति के नाम पर उनको डराते हैं।

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Question 7:

'हस्तक्षेप' कविता सत्ता की क्रूरता और उसके कारण पैदा होनेवाले प्रतिरोध की कविता है – स्पष्ट कीजिए।

ANSWER:

मगध में कवि ने शासन व्यवस्था को क्रूर दिखाया है। जो विरोध को दबाने के लिए तथा मनमाना व्यवहार करने के लिए लोगों पर नाना प्रकार के अत्याचार करती है। इस तरह मगध में आतंक का वातावरण विद्यमान रहता है। यह कविता ऐसी शासन व्यवस्था के खिलाफ है, जो क्रूरतापूर्वक शासन करते हैं। जनता की भावनाओं तथा अधिकारों का हनन करते हैं। ऐसी शासन व्यवस्था में प्रतिरोध होना आवश्यक है। कवि बताता है कि यदि जनता इस क्रूरतापूर्ण शासन व्यवस्था का अंत करना चाहती है, तो उसे प्रतिरोध करना पड़ेगा। जब तक वे प्रतिरोध नहीं करेंगे, यह क्रूरता चलती रहेगी।

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Question 8:

निम्नलिखित लाक्षणिक प्रयोगों को स्पष्ट कीजिए –

(क) कोई छींकता तक नहीं

(ख) कोई चीखता तक नहीं

(ग) कोई टोकता तक नहीं

ANSWER:

(क) कोई छींकता तक नहीं का लाक्षणिक प्रयोग इस संदर्भ में किया हैः शासन व्यवस्था की मनमानी से परेशान है लेकिन फिर भी कोई कुछ प्रतिक्रिया नहीं करता है।

(ख) कोई चीखता तक नहीं का लाक्षणिक प्रयोग इस संदर्भ में किया हैः शासन व्यवस्था की मनमानी से परेशान है लेकिन कोई उसके विरुद्ध मज़बूती से नहीं बोलता।

(ग) कोई टोकता तक नहीं का लाक्षणिक प्रयोग इस संदर्भ में किया हैः शासन व्यवस्था की मनमानी और अत्याचार के प्रति कोई हस्तक्षेप क्यों नहीं करता है। चुपचाप अन्याय सह रहे हैं।

Answered by Anonymous
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good night..................

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