कवि ने भारत भूमि की किन किन विशेषताओं का वर्णन किया है
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प्रस्तुत कविता में कवि ने भारत भूमि की विशेषताओं का गुणगान किया है। कवि ने भारत के उत्तर में खड़े हिमालय पर्वत जो भारत के गौरव का प्रतीक है। ... कवि ने भारत को अनेक नामों जैसे जन्मभूमि, मातृभूमि, पुण्यभूमि, युद्धभूमि, धर्मभूमि, कर्मभूमि, स्वर्णभूमि आदि अनेक नामों से संबोधित किया है।
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कविता का भाव : प्रस्तुत कविता में राष्ट्रकवि कवि 'रामधारी सिंह दिनकर' जी भारत के प्रति अपने प्रेम की व्यक्त करते हुए कहते हैं
- कि हमारे भारत का नाम व्यर्थ ही बदनाम मत करो। संसार के मानचित्र पर जो भारत नजर आता है, वह तो केवल भारत का एक भौगोलिक रूप है।
-भारत वह भाव है जिसे मनों में स्थापित करना चाहिए यानी प्रत्येक भारतवासी को अपने मन में इसे भाव स्थापित करना चाहिए। भारत को मन में स्थापित करे भूमि में नहीं।
-कवि कहते हैं कि भारत एक ऐसा सपना है जो यहाँ रहने वाले भूवासियों को उन्नति के मार्ग पर ले जाने वाला है। उसी तरह भारत एक ऐसा विचार है जो स्वर्ग को भूमि पर लाता है।
-भारत में ऐसी शक्ति है इसकी भावनाओं और दर्शनों में मनुष्यों को या संसार को जगाने की शक्ति है।
-भारत एक भाव है जो हर मनुष्य हर भारतवासी के मन में जगता है अर्थात भारत को आगे ले जाने वाली भावना हर भारतीय के मन में भाव बन कर जगती है ।
-भारत संसार रूपी तालाब में खिला एक ऐसा कमल है जिस पर कोई जल का दाग भी नजर नहीं आता।
-कवि यह कहना कहते है कि जिस प्रकार कमल कीचड़ में उगता है पर फिर भी उस पर कीचड़ का एक अंश तक नहीं दिखता।
-उसी प्रकार अपने-आस शत्रुओं से घिरे भारत पर उन सब ने दाग लगाने का बहुत प्रयास किया पर वे सफल नहीं हुए और भारत कमल की भाँति अपनी शोभा बिखेरता रहा।
-कवि कहते हैं कि भारत एक ऐसा ठहराव है जहाँ आकर मनुष्य अपने आप पर विजय प्राप्त कर लेता है।
-भारत एक ऐसी भावना है, जो हर मनुष्य को त्याग की सीख या प्रेरणा देता है। यह एक ऐसी कल्पना,ऐसी भावना है जो मनुष्य को राग और द्वेष से मुक्त करती है।
-भारत एक ऐसा देश है जहाँ प्रेम के स्वर बहते हैं। यहाँ की एकता अखंडित है। यहाँ अलग-अलग धर्मों के होने के लोग रहते हैं फिर भी उनमें एकता की भावना है। भारत को इसी एकता ने जोड़ कर रखा है।
-इसी एकता की भावना से हर भारतवासी ओत-प्रोत है। भारत को कवि जीवित सूर्य की संज्ञा दे रहें हैं क्योंकि भारत ने ही पूरे विश्व में प्रेम व एकता का प्रसार किया है और सूर्य के समान ज्ञान की रोशनी फैलाई है।
-वर्षों से भारत के लोगों ने जीवन को साधना मान कर तपस्या की है, वह जीवन को लेकर किसी भ्रम में नहीं है।
-इस धरती पर बड़े-बड़े महाऋषियों और महापुरुषों ने जन्म लिया है जिन्होंने जीवन-साधना और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग बताए हैं। यह ऐसी पवित्र धरती है जहाँ तीन महान नदियों संगम हुआ है।
-इस पवित्र धरती पर त्याग की भावना से परिपूर्ण लोग रहते हैं जो बिना किसी स्वार्थ के दूसरों के लिए अपना जीवन तक त्याग देते हैं।
-भारत एक ऐसा देश है जहाँ सब रिश्तों में प्रेम है और आदर है। अंत में कवि यही कहते हैं ऐसे भारत को ऐसी पवित्र धरती को प्रणाम करो।
-कवि यही प्रार्थना करते हैं सभी से कि बेकार में भारत का नाम बदनाम न करो। सभी भारतीयों को अपने देश और इस धरती पर जन्म लेने पर गर्व करना चाहिए।
संक्षेप में : कवि कहते हैं कि वास्तविक भारत तो मानव के मस्तिष्क में रहनेवाली वह विचारधारा है, जो मानव-मात्र के आचार-व्यवहार में प्रेम, करुणा, विनय, सौहार्द एवं अपनतत्व भरकर धरती पर स्वर्ग का सृजन कर देती है ।
भारत मनों में बसने वाला एक भाव है और भारत में रहने वाले प्रत्येक भारतवासी को अपने-आप को भारतीय कहलाने पर गर्व महसूस होता है।
भारत ऐसा कोई देश जिस में कोई दाग नहीं है , यह एक पवित्र देश है।
हमारे भारत में बहुत-सी पवित्र नदियाँ बहती हैं। यहाँ बहुत से पवित्र स्थल । भारत पूरे विश्व में समानित है।
भारत एक ऐसा देश है जिसमें एकता है , भारत में रहने वाले सभी व्यक्ति रिश्तों का बहुत आदर करते हैं और यहाँ के सब रिश्तों में प्रेम है । भारत के लोगों एक-दूसरे के प्रति त्याग भावना है । ऐसे महान भारत को प्रणाम ।