कवि ने लहरों को क्या बताया है ?
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इस अंश में कवि ईश्वर को परम दयावान बताते हुए कह रहा है कि समुद्र में निरंतर उठती लहरों का शब्द उसी परमेश्वर की प्रशंसा का गीत है। व्याख्या- ईश्वर का हृदय जीव-मात्र के लिए अपार करुणा से भरा है। कोई भी उसकी दया से वंचित नहीं होता।
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