कवि ने प्रेम को संसार में अंगूठी के नगीने के समान अमूल्य माना है।"" इस पंक्ति को ध्यान में रखते हुए कवि के अनुसार प्रेम के स्वरूप का वर्णन करें।
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isase kavi Yad batana chahte Hain Ki Hamen Sansar Mein Hamesha acche kaam karne chahie aur dusron ki flight Karni chahie kabhi kisi ko Pareshan nahin karna chahie kabhi kisi ko
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प्रेम को संसार में अंगूठे के नगीने बोलने का कारण
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प्रेम से ही यह दुनिया बनी हुई हैं| बिना प्रेम के कोई भी रिश्ता ज्यादा दिनों तक टिक नहीं सकता और इसलिए सभी रिश्तों का मूल-आधार है प्रेम| मौलिक रूप से हमारा यह संसार रिश्तों का ही एक भूल-भुलया है जहां पर प्रेम ही एक ऐसी चीज़ है जो की संसार में मौजूद सभी रिश्तों को बांध कर रखती हैं|
प्रेम के जैसा कोई नगमा इस दुनिया में कोई दूसरा नहीं हैं| इसलिए प्रेम का स्वरूप सर्व-भूत हैं|
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