कवि ने प्रकृति का मानवीकरण कहाँ-कहाँ किया है
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कवि ने कविता में अनेक स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण किया है, जैसे-
कवि ने कविता में अनेक स्थलों पर प्रकृति का मानवीकरण किया है, जैसे-यह हरा ठिगना चना, बाँधे मुरैठा शीश पर बीच में अलसी हठीली देह की पतली, कमर की है लचीली सरसों के लिए-हाथ पीले कर लिए हैं ब्याह-मंडप में पधारी फाग गाता मास फागुन आ गया है आज जैसे। हैं कई पत्थर किनारे पी रहे चुपचाप पानी बगुले के लिए देखते ही मीन चंचल ध्यान-निद्रा त्यागता है|
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