Hindi, asked by sakinanajmig8, 1 month ago

कवि ने स्वयं को पानी मान कर प्रभु को क्या माना है? देवदास के पद के आधार पर लिखिए।​

Answers

Answered by guptaakshara97
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Answer:

कवि ने स्वयं को पानी मानकर प्रभु को चंदन माना है। रैदास के स्वामी निराकार प्रभु हैं। कवि ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि जिस प्रकार वन में रहने वाला मोर आसमान में घिरे बादलों को देख प्रसन्न हो जाता है, उसी प्रकार कवि भी अपने आराध्य को देखकर प्रसन्न होता है।

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