कवि रहीम ने विपत्ति रूपी कसौटी पर किसे कसा है?
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कहि ‘रहीम’ संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति। बिपति-कसौटी जे कसे, सोई सांचे मीत॥ अर्थ धन सम्पत्ति यदि हो, तो अनेक लोग सगे-संबंधी बन जाते हैं। पर सच्चे मित्र तो वे ही हैं, जो विपत्ति की कसौटी पर कसे जाने पर खरे उतरते हैं। सोना सच्चा है या खोटा, इसकी परख कसौटी पर घिसने से होती है। इसी प्रकार विपत्ति में जो हर तरह से साथ देता है, वही सच्चा मित्र है।
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