कविता का आरंभ 'तोड़ो तोड़ो तोड़ो' से हुआ है और अंत 'गोड़ो गोड़ो गोड़ो' से। विचार कीजिए कि कवि ने ऐसा क्यों किया।
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ऐसा करने के पीछे कवि का विशेष उद्देश्य है, 'तोड़ो तोड़ो तोड़ो' से कविता आरंभ करके कवि मनुष्य को विघ्न, बाधाएँ, खीझ इत्यादि को चकनाचूर करने के लिए प्रेरित करता है। इस तरह मनुष्य संकट से बाहर आ जाता है और उसके मन की सोचने-समझने की शक्ति का विकास होता है। विघ्न-बाधाएँ तथा खीझ मनुष्य के विचारों को प्रभावित किए रहती हैं और वह कुछ भी करने में असमर्थ होता है। 'गोड़ो गोड़ो गोड़ो' से वह मन को मज़बूत बनाकर सृजन शक्ति को बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है। जैसे धरती के अंदर व्याप्त चट्टान और पत्थरों को तोड़ने से उसका बंजरपन समाप्त होता है तथा गुड़ाई करके उसे खेती करने योग्य बनाया जाता है। ऐसे ही इन शब्दों के द्वारा कवि मन को विशेष बल देने का प्रयास करता है ताकि वह अपने सम्मुख खड़ी कठिनाइयों से लड़ सके तथा सृजन शक्ति को और बलशाली बना सके। इस प्रकार ही मनुष्य का विकास संभव है।