कविता के आधार पर भक्त और भगवान के बीच के संबंध पर प्रकाश डालिए ।
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जो भक्त बड़े प्यार से मुझे भजता है, मैं बिना मांगे ही उसके चित्त में ज्ञान का दीप जलाता हूं। भगवान कहते हैं कि भक्त के मन में मुझसे मिलने की इच्छा तीव्र हो तो मैं उसे अपने आप ही मिल जाऊंगा। भगवान अपने भक्तों का गुणगान करते हैं। भक्त का चित्त और प्राण ईश्वर में समाहित होता है।
भगवान कहते हैं- बुद्घि, ज्ञान, क्षमा, सत्य, शम-दम, सुख-दुख, अहिंसा, समता, दान, यश, शक्ति, प्रकाश, तेज आदि मुझसे ही हैं। जैसे जल का ऐश्वर्य बर्फ है, उसी तरह ईश्वर का ऐश्वर्य विभूति कहलाता है।
साधक के जीवन में गुरु का होना ईशकृपा का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है।
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