कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्र नाव का वर्णन कीजिए
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कविता के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि पराधीन भारत में कैदियों को अमानवीय यातनाएँ दी जाती थीं। उन्हें छोटे-छोटे अँधेरी कोठरियों में जंजीरों से बाँध कर रखा जाता था। बहुत ही घटिया और थोड़े से भोजन देकर उनसे पशुओं की तरह काम करवाया जाता था। उन्हें मार-मार कर कोल्हू भी चलवाया जाता था।
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कवि माखनलाल चतुर्वेदी ने ‘कैदी और कोकिला’ कविता के माध्यम से कवि ने तत्कालीन ब्रिटिश शासकों द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन करने वाले देशभक्तों पर किए जाने वाले अत्याचारों का वर्णन किया है। कवि ने बताया है कि स्वतंत्रता सेनानी जेल में बंद होने पर भी अपना साहस और हिम्मत नहीं खोते थे तथा महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए अहिंसा आंदोलन में अपना पूरा योगदान देने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।इस कविता में कवि ने जेल में एकांत और उदास जीवन व्यतीत करते हुए कोयल से अपने हृदय की पीड़ा और असंतोष का भाव व्यक्त किया था। कवि ने इस कविता में कैदियों को कारागार में दिए जाने वाले तरह-तरह के कष्टों और दुखों की ओर भी संकेत किया है।
कवि माखनलाल चतुर्वेदी ने ‘कैदी और कोकिला’ कविता के माध्यम से कवि ने तत्कालीन ब्रिटिश शासकों द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन करने वाले देशभक्तों पर किए जाने वाले अत्याचारों का वर्णन किया है। कवि ने बताया है कि स्वतंत्रता सेनानी जेल में बंद होने पर भी अपना साहस और हिम्मत नहीं खोते थे तथा महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए अहिंसा आंदोलन में अपना पूरा योगदान देने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।इस कविता में कवि ने जेल में एकांत और उदास जीवन व्यतीत करते हुए कोयल से अपने हृदय की पीड़ा और असंतोष का भाव व्यक्त किया था। कवि ने इस कविता में कैदियों को कारागार में दिए जाने वाले तरह-तरह के कष्टों और दुखों की ओर भी संकेत किया है।उत्तर :-
कवि माखनलाल चतुर्वेदी ने ‘कैदी और कोकिला’ कविता के माध्यम से कवि ने तत्कालीन ब्रिटिश शासकों द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन करने वाले देशभक्तों पर किए जाने वाले अत्याचारों का वर्णन किया है। कवि ने बताया है कि स्वतंत्रता सेनानी जेल में बंद होने पर भी अपना साहस और हिम्मत नहीं खोते थे तथा महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए अहिंसा आंदोलन में अपना पूरा योगदान देने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।इस कविता में कवि ने जेल में एकांत और उदास जीवन व्यतीत करते हुए कोयल से अपने हृदय की पीड़ा और असंतोष का भाव व्यक्त किया था। कवि ने इस कविता में कैदियों को कारागार में दिए जाने वाले तरह-तरह के कष्टों और दुखों की ओर भी संकेत किया है।उत्तर :-पराधीन भारत की जेलों में अंग्रेजी शासन में भयंकर यातनाएँ दी जाती थी ताकि देशभक्त उन यातनाओं से भयभीत हो जाए तथा अपने उद्देश्य से पीछे हट जाएं। जेलों में कैदियों की छाती पर बैलों की तरह फीता लगाकर चूना आदि पिसवाया जाता था; पेट से बांधकर हल जुतवाया जाता था; कोल्हु चलवाकर तेल निकलवाया जाता था; और पत्थरों की गिट्टियां तुड़वाई जाती थी ;उन्हें भूखा-प्यासा रखा जाता था; उनके हंसने रोने पर भी रोक थी। वह अपने हृदय के भावों को प्रकट नहीं कर सकते थे।
कवि माखनलाल चतुर्वेदी ने ‘कैदी और कोकिला’ कविता के माध्यम से कवि ने तत्कालीन ब्रिटिश शासकों द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन करने वाले देशभक्तों पर किए जाने वाले अत्याचारों का वर्णन किया है। कवि ने बताया है कि स्वतंत्रता सेनानी जेल में बंद होने पर भी अपना साहस और हिम्मत नहीं खोते थे तथा महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए अहिंसा आंदोलन में अपना पूरा योगदान देने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे।इस कविता में कवि ने जेल में एकांत और उदास जीवन व्यतीत करते हुए कोयल से अपने हृदय की पीड़ा और असंतोष का भाव व्यक्त किया था। कवि ने इस कविता में कैदियों को कारागार में दिए जाने वाले तरह-तरह के कष्टों और दुखों की ओर भी संकेत किया है।उत्तर :-पराधीन भारत की जेलों में अंग्रेजी शासन में भयंकर यातनाएँ दी जाती थी ताकि देशभक्त उन यातनाओं से भयभीत हो जाए तथा अपने उद्देश्य से पीछे हट जाएं। जेलों में कैदियों की छाती पर बैलों की तरह फीता लगाकर चूना आदि पिसवाया जाता था; पेट से बांधकर हल जुतवाया जाता था; कोल्हु चलवाकर तेल निकलवाया जाता था; और पत्थरों की गिट्टियां तुड़वाई जाती थी ;उन्हें भूखा-प्यासा रखा जाता था; उनके हंसने रोने पर भी रोक थी। वह अपने हृदय के भावों को प्रकट नहीं कर सकते थे।आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।