कविता के बहाने'- कविता के प्रतिपाद्य के बारे में अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत कीजिए ।
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'कविता के बहाने' कुंवर नारायण जी की नई कविता है। इसमें कवि कविता की यात्रा के विषय में बताता है, जो चिड़िया, फूल से लेकर बच्चे तक की है। कविता की उड़ान चिड़िया की उड़ान के समान है। चिड़िया की उड़ान तो सीमित होती है लेकिन कविता की उड़ान कवि की कल्पना का सहारा लेकर दूर तक जाती है। जिस प्रकार फूल खिलकर अपनी सुगंध एवं सौंदर्य से लोगों को आनंद प्रदान करता है उसी प्रकार कविता सदैव खिली रहकर लोगों को उसका रसपान कराती है। कविता कालजयी होती है उसका मूल्य शाश्वत होता है जबकि फूल बहुत जल्दी मुरझा जाते हैं। अंत में कविता की बच्चे से तुलना की गई है। बच्चे खेल-खेल में अपनी सीमा, अपने-परायों का भेद भूल जाते हैं। इसी प्रकार कविता भी काल, स्थान, वर्ग, परिस्थिति से परे जाकर अपना प्रभाव छोड़ती है और लोगों को एक सूत्र में बांधती है। अतः कवि को भी कविता करते वक्त अपने-पराये या वर्ग विशेष का भेद भूलकर लोक हित में कविता लिखनी चाहिए। मुख्य रूप से यही प्रेरणा देना कविता का प्रतिपाद्य है।