कविता की इन पंक्तियों का भावार्थ लिखिए
है कौन विघ्न ऐसा जग में टिक सके आदमी के मन में
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भावार्थ – कवि कहता है कि कोई भी मुसीबत (कठिनाई) ऐसी नहीं है, जो बहादुर आदमी का रास्ता रोक सके। जब पुरुषार्थी मनुष्य उत्साह से आगे बढ़ता है; तब पहाड़ भी हिल जाता है। मनुष्य जब अपनी कार्य क्षमता प्रदर्शित करता है; तब कठिन काम आसान हो जाते हैं; जैसे- बर्फ (पत्थर) पिघलकर पानी का रूप ले लेती है।
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