कविता के कलापक्ष और भावपक्ष को स्पष्ट कीजिए।
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Explanation:
कविता से मनुष्य-भाव की रक्षा होती है। सृष्टि के पदार्थ या व्यापार-विशेष को कविता इस तरह व्यक्त करती है, मानो वे पदार्थ या व्यापार-विशेष नेत्रों के सामने नाचने लगते हैं। वे मूर्तिमान दिखाई देने लगते हैं। उनकी उत्तमता या अनुत् से बहने लगते हैं। तात्पर्य यह है कि कविता मनोवेगों को उत्तेजित करने का एक उत्तम साधन है। यदि क्रोध, करुणा, दया, प्रेम आदि मनोभाव मनुष्य के अन्तःकरण से निकल जाएँ, तो वह कुछ भी नहीं कर सकता। कविता हमारे मनोभावों को उच्छ्वासित करके हमारे जीवन में एक नया जीव डाल देती है। हम सृष्टि के सौन्दर्य को देखकर मोहित होने लगते हैं। कोई अनुचित या निष्ठुर काम हमें असह्य होने लगता है। हमें जान पड़ता है कि हमारा जीवन कई गुना अधिक होकर समस्त संसार में व्याप्त हो गया है।
कविता क्या है? जब कवि 'भावनाओं के प्रसव' से गुजरते हैं, तो कविताएं प्रस्फुटित होती हैंं।
कला पक्ष :-से तात्पर्य है कि कविता में प्रयुक्त किए जाने वाले छंद, उस में प्रयुक्त किए जाने वाले अलंकार कविता की भाषा और उसकी शैली आदि होते हैं , जो कविता का शिल्प सौंदर्य भी कहलाते हैं।
जबकि कविता का भाव पक्षी :-कवि की कल्पना, कविता का उद्देश्य उसके विचार और उसमें निहित संदेश को प्रकट करता है।
कविता के दो पक्ष होते हैं :-भाव पक्ष और कला पक्ष अर्थात शिल्प सौंदर्य। जिसमें कवि की कल्पना रस विचार और संदेश शामिल होते हैं। उसे ही भाव पक्ष कहते हैं।
कलापक्ष में शब्दों का चयन, भाषा का प्रभाव, छंद ,तर्क, कल्पनाशीलता, संवेदनाएं और भाव अर्थ आदि आते हैं गद्य तथा पद्य दोनों में कलापक्ष होता है।
भाव पक्ष:-साहित्यिक रचना का वह पक्ष जिनमें उनकी निष्पत्ति रस का सांगोपांग वर्णन या विवेचन होता है। जिसमें विशेष रूप से काव्यगत भावनाओं ,कल्पनाओं तथा विचारों की प्रधानता होती है।
उदाहरण:-भाव पक्ष:- सूरदास के कृष्ण भक्ति थे। सूरदास जी ने अपने पदों में मानव के मन के भावों को प्रकट किया है । सूरदास जी के काव्य में शांत , श्रृंगार और वात्सल्य रस स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
सूरदास जी वात्सल्य रस के सर्वश्रेष्ठ कवि है।
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