कविता कैसे बनती है। सौदाहरण स्पष्ट की
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Answer:
शब्द आते हैं-शब्द जाते हैं
पर उनमें से कुछ तो
यूँ ही मेरे मुँह से निकल आते हैं
और कविता बन जाते हैं
कुछ को गहन सोचना पड़ता है
कुछ पर विचार भर करना पड़ता है
पर कुछ बिना सोचे ही
मन में घुस आते हैं
और लब पर कविता बन
इठलाते हैं
कुछ पर तो ------
ना सोचना पड़ता है
ना विचार करना पड़ता है
ना मन में अपने आप घुसते हैं
बस देखते हैं
और देखते ही देखते
शब्दों की लड़ी बन जाती है
और होठों पर आकर खड़ी हो जाती है
लय मन में उफ़न आती है
और कविता बन जाती है
- विरेन्द्र सिंह
- हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।
Explanation:
लिखने का अभ्यास करें : एक कविता कि शुरुआत किसी छोटी छंद मात्रा से , कहीं से भी आ रही एक या दो लाइन से , या अपने मन दूर न जाने वाली तस्वीर से भी हो सकती है । आप बस लिखने का प्रयास करके और अपने चारों तरफ मौजूद दुनिया का इस्तेमाल करते हुए भी अपने लिए एक प्रेरणा
का भी तलाश कर सकते हैं । जब आपको अपने लिए एक प्रेरणा मिल जाए , फिर आप आपके विचारों को एक कविता का आकार दे सकते हैं।