कविता 'प्रार्थना 'तथा' आ रही है रवि की सवारी' का सारांश अपने शब्दों में लिखे।
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इस कविता में बताया जा रहा है कि घने अंधकार यानी रात के बाद सूर्य (रवि) की सवारी आ रही है। सूर्य की रथ नए किरणों से सजी है, कलियों तथा फूलों से रास्ते सजे हैं, बादल जो अनुचर यानि सेवक जैसे हैं वे भी सोने की पोशाक पहने खड़े हैं। यह सब सूरज के स्वागत में खड़े हैं।
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