Hindi, asked by sangachrispreetham, 1 day ago

कविता स्वर्ग बना सकता है मैं सुमित ना होगा कोलाहल का अर्थ स्पष्ट कीजिए​

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Answered by Anonymous
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प्रस्तुत अंश दिनकर जी की प्रसिद्ध रचना‘ कुरुक्षेत्र’ से लिया गया है। महाभारत युद्ध के उपरांत धर्मराज युधिष्ठिर भीष्म पितामह के पास जाते हैं। वहाँ भीष्म पितामह उन्हें उपदेश देते हैं। यह भीष्म पितामह का युधिष्ठिर को दिया गया अंतिम उपदेश है। 40 के दशक में लिखी गई इस कविता के द्वारा कवि भारत देश की सामाजिक दशा, उसके विकास में उपस्थित बाधाओं और उसमें परिवर्तन कर उसे स्वर्ग समान बनाने की बात करते हैं।

प्रस्तुत कविता में भीष्म पितामह युधिष्ठिर को उपदेश देते हुए कहते हैं कि इस धरती पर जन्म लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति का इस भूमि पर समान हक़ है इसलिए प्रकृति प्रदत्त सभी वस्तुओं का उपभोग आपस में मिल बाँटकर करना चाहिए। मार्ग में आने वाली हर रुकावट का का सामना भी मिलकर करना चाहिए।

Answered by llCuteJayull
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स्वर्ग बना सकते हैं। भावार्थ – ईश्वर ने मानव को जो अमूल्य भंडार दिया है, उससे धरती के सभी मानव तृप्त हो सकते हैं। यदि मनुष्य स्वार्थ रहित होकर यदि इन सुखों को समतापूर्वक भोगे तो सबको सुख भी प्राप्त होगा और सभी संतुष्ट भी रहेंगे।

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