English, asked by hariomgurjar7752, 2 months ago

कवितावली कविता के सवैयो शिल्प सौन्दर्य को अपने शब्दों में लिखिए​

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Answered by sshubhangi272
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Explanation:

कवितावली में श्री रामचन्द्र के इतिहास का वर्णन कवित्त, चौपाई, सवैया आदि छंदों में की किया है। रामचरितमानस के जैसे ही कवितावली में भी सात खंड (खण्ड) हैं। ये छंद (छन्द) ब्रजभाषा में लिखे गये हैं और इनकी रचना प्राय: उसी परिपाटी पर की गयी है जिस परिपाटी पर रीतिकाल का अधिकतर रीति-मुक्त काव्य लिखा गया।

'कवितावली' का काव्य-शिल्प मुक्तक काव्य का है। उक्तियों की विलक्षणता, अनुप्रासों की छटा, लयपूर्ण शब्दों की स्थापना कथा भाग के छ्न्दों में दर्शनीय है। आगे रीति काल में यह काव्य शैली बहुत लोकप्रिय हुई और इस प्रकार तुलसीदास इस काव्य शैली के प्रथम कवियों में से ज्ञात होते हैं फिर भी उनकी 'कवितावली' के छंदो (छन्दों) में पूरी प्रौढ़ता दिखाई पड़ती है।

कवितावली में बालरूप की झाँकी देखिये-

अवधेश के द्वारें सकारें गई सुत गोद कै भूपति लै निकसे।

अवलोकिहौं सोच बिमोचनको ठगि-सी रही, जे न ठगे धिक-से॥

तुलसी मन-रंजन रंजित-अंजन नैन सुखंजन-जातक-से।

सजनी ससिमें समसील उभै नवनील सरोरुह-से बिकसे॥

पग नूपुर औ पहुँची करकंजनि मंजु बनी मनिमाल हिएँ।

नवनील कलेवर पीत झँगा झलकै पुलकैं नृपु गोद लिएँ॥

अरबिंद सो आनन रूप मरंद अनंदित लोचन-भृंग पिएँ।

मनमें न बस्यो अस बालक जौं तुलसी जगमें फलु कौन जिएँ॥

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