कवव अपने नव-जीवन से क्या सीींचना चाहते है ?
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इस कविता के रचयिता सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' हैं। इन पंक्तियों में कवि पुष्पों यानि नवयुवको के अंदर के आलस्य को दूर करके उन्हें अपने जीवन रूपी अमृत से सींचना चाहता है ताकि वे अनंतकाल तक खिलकर अपना सौंदर्य बिखेरते रहें। ... कवि उन पुष्पों को हरा-भरा बनाए रखने के लिए उन्हें अपने नवजीवन के अमृत से सींचना चाहता है।
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syhdj GGICUJFIF blvxgcihhxycivivivohovj vvgxhvjcj nchvk gxuck l kvicyckbl kviv
Explanation:
vovobovici vvn nbbcuvivih
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