kavi jaise Devano je hirday par konsa bhar hai?
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कवि के हृदय में एक विशेष आग (प्रेमाग्नि) जल रही है। वह प्रेम की वियोगावस्था में होने के कारण व्यथित है।कवि को संसार इसलिए अच्छा नहीं लगता क्योंकि उसके दृष्टिकोण के अनुसार संसार अधूरा है। उसमें प्रेम नहीं है। वह बनावटी व झूठा है।
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