Hindi, asked by ananyabagchi819, 1 year ago

Kavi ki umar badhti hi nahi hai karan likhiye from the poem prerna by tripurari

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Answered by shailajavyas
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Answer:

कवि का मानना है कि इंसान अपने शरीर से नहीं मन से बूढ़ा होता है | कवि के अनुसार जब भी व स्वयं की आंखों में देखता है तो उसे ऐसा ही लगता है की उम्र ढलने के बावजूद भी उसके भीतर वह छोटा - सा बच्चा आज भी जीवित है | वह आज भी भीतर से बच्चा ही  है | अतः कवि की उमर बढ़ती नहीं है |

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