kavi parichay of girijakumar mathur
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गिरिजा कुमार माथुर का जन्म 22 अगस्त 1919 को गुना, मध्य
प्रदेश में हुआ। स्वतंत्रता प्राप्ति के दिनों में हिंदी साहित्यकारों में जो उदीयमान कवि थे उनमें 'गिरिजा कुमार माथुर' का नाम भी सम्मिलित है।
प्रारंभिक शिक्षा झाँसी, उत्तर प्रदेश में हुई और आपने लखनऊ विश्विद्यालय से एम.ए. अंग्रेज़ी व एल.एल.बी. की। कुछ समय तक वकालत की, तत्पश्चात् दिल्ली में आकाशवाणी में काम किया। फिर दुरदर्शन में भी काम किया और वहीं से सेवानिवृत हुए।
10 जनवरी 1994 को नई दिल्ली मे आपका निधन हो गया।
गिरिजाकुमार माथुर की समग्र काव्य यात्रा से परिचित होने के लिए उनकी पुस्तक "मुझे और अभी कहना है" अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
गिरिजा कुमार माथुर माथुर की प्रमुख रचनाएँ हैं - नाश और निर्माण, धूप के धान, शिलापंख चमकीले, भीतरी नदी की यात्रा, काव्य-संग्रह जन्म कैद (नाटक) नई कविता: सीमाएँ और संभावनाएँ (आलोचना)।
HOPE THIS HELPS YOU.
प्रदेश में हुआ। स्वतंत्रता प्राप्ति के दिनों में हिंदी साहित्यकारों में जो उदीयमान कवि थे उनमें 'गिरिजा कुमार माथुर' का नाम भी सम्मिलित है।
प्रारंभिक शिक्षा झाँसी, उत्तर प्रदेश में हुई और आपने लखनऊ विश्विद्यालय से एम.ए. अंग्रेज़ी व एल.एल.बी. की। कुछ समय तक वकालत की, तत्पश्चात् दिल्ली में आकाशवाणी में काम किया। फिर दुरदर्शन में भी काम किया और वहीं से सेवानिवृत हुए।
10 जनवरी 1994 को नई दिल्ली मे आपका निधन हो गया।
गिरिजाकुमार माथुर की समग्र काव्य यात्रा से परिचित होने के लिए उनकी पुस्तक "मुझे और अभी कहना है" अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
गिरिजा कुमार माथुर माथुर की प्रमुख रचनाएँ हैं - नाश और निर्माण, धूप के धान, शिलापंख चमकीले, भीतरी नदी की यात्रा, काव्य-संग्रह जन्म कैद (नाटक) नई कविता: सीमाएँ और संभावनाएँ (आलोचना)।
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गिरिजा कुमार माथुर का जन्म १९१८ में गुना,मध्य प्रदेश में हुआ ।उनकी प्रारभिंक शिक्षा उत्तर प्रदेश से है ।उन्होंने एम.ए,अंग्रेजी व एल.एल.बी की उपाधि लखनऊ से अर्जित की ।उन्होंने शुरू के कुछ समय तक वकालत की ।बाद में आकाश वाणी और दूरदर्शन में काम किया ।उनकी कुछ रचनाएँ है :-
- नाश और निर्माण
- धूप के धान
- शिलापंख चमकीले
आदि
उनका निधन १९९४ में हुआ
।
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