kavita aur kavya me antar spasht kijiye?
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कविता का शाब्दिक अर्थ है काव्यात्मक रचना या कवि की कृति, जो छन्दों की शृंखलाओं में विधिवत बांधी जाती है। काव्य वह वाक्य रचना है जिससे चित्त किसी रस या मनोवेग से पूर्ण हो अर्थात् वहजिसमें चुने हुए शब्दों के द्वारा कल्पना और मनोवेगों का प्रभाव डाला जाता है। रसगंगाधर में 'रमणीय' अर्थ के प्रतिपादक शब्द को 'काव्य' कहा है।
कविता और काव्य में अंतर...
कविता और काव्य में अंतर कविता आधुनिक समय में काव्य का ही परिवर्तित रूप है। इसकी उत्पत्ति का इतिहास काव्य की अपेक्षा नवीन है।
कविता एक छोटी या बड़ी एक ही समय में पूर्ण की गई एक रचना है, जबकि काव्य एक वृहद स्वरूप लिए होता है।
काव्य में अलंकारों का भली-भांति प्रयोग किया जाता है। ये सतत् प्रवाह के साथ चलने वाली रचना भी हो सकता है।
कविता अपने आप में पूर्ण होती है, जबकि काव्य को पूर्ण होने के लिये लंबा सफर तय करना पड़ता है।
कविता तुकांत व अतुकांत भी हो सकती है, जबकि काव्य पद, छंद, दोहे आदि का स्वरूप लिये होता है, जिस पर काव्य व्याकरण के नियम भी लागू होते हैं।