Hindi, asked by pratimagupta40, 11 months ago

kavita in hindi teacher not from Google and not from book

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Answered by Ankit20073
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गुरू वो बासुरी है जिसके बजे ही
अंग अंग थिरकने लगता है
गुरू वो अमृत है जिसे पीके
कोई कभी प्यासा नहीं।

गुरू वो मृदग्न हैं जिसे बजाते ही
सोहम नाद की झलक मिलती है।
गुरू वो कृपा ही है जो सिर्फ कुछ
सद शिष्यों को विशेष रूप में मिलती हैं।

और कुछ पाकर भी समझ नहीं पाते।
गुरू वो खजाना है जो अनमोल है।
गुरू वो समाधि हैं जो चिरकाल तक रहती है।
गुरू वो प्रसाद है जिसके भाग्य में हो

उसे कभी कुछ मांगने की जरूरत नहीं रहती।

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