Hindi, asked by savi140, 11 months ago

kavita ka arth main Dhoondta Hoon Tujhe Kavita ka Arth ​

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Answered by kakadrajshri
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प्रसंग-प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक सुगम भारती-6 में संकलित कविता ‘मैं ढूंढ़ता तुझे था’ से लिया गया है। इसके कवि हैं-रामनरेश त्रिपाठी। इसमें उन्होंने ईश्वर की महिमा का गुणगान किया है।

मानव ईश्वर को बाग-बगीचे में ढूंढ़ता है किन्तु वह तो दीन-दुखियों के द्वार पर खड़ा होता है। ईश्वर किसी की आह बनकर मानव को पुकारता है किंतु लोग अपनी दुनिया में मस्त रहते हैं। वे सोचते हैं कि संगीत और भजन गाने से ईश्वर खुश होगा और उसकी पुकार सुन लेगा लेकिन ऐसा होता नहीं है। क्योंकि ईश्वर तो गिरे हुए को उठाने में लगा होता है। लोग संसार से उदासीन होकर ईश्वर को खोजते हैं परंतु वह किसी के पतन को उत्थान में बदल रहा होता है।

कवि ईश्वर की महिमा का गुणगान करते हुए कहता है कि वह किरण में रूप है, पुष्प में सौंदर्य है। पवन में प्राण हैं और गगन में विस्तार है। कवि प्रार्थना करता है कि ईश्वर उसमें प्रतिभा प्रदान करें ताकि वह उसे (ईश्वर को) आँखों में, मन में, और वचन में देख सके। कठिनाईयों और दुःखों का इतिहास गौरवशाली होता है। कवि ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है कि वह उसमें कष्ट सहने की क्षमता दे ताकि वह दुःख में हार नहीं माने और साथ ही सुख के क्षणों में ईश्वर को भुले नही |

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