kavita mera naya bachpan ka mool bhav
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'मेरा नया बचपन' कविता में सुभद्रा कुमारी चौहान बताती हैं कि उन्हें अपना बचपन खो जाने का बहुत दुःख था। वे अपने बचपन के सुख भरे दिनों को याद करती थीं और चाहती थीं कि वे दिन वापस आ जाएँ।
उन्हें अपनी बेटी के जरिये अपने बचपन की खुशियाँ वापस मिलीं। वे उसके साथ खेलती थीं और उसके साथ तुतलाकर बोलती थीं। वे उसके साथ बच्ची बन जाती थीं। इस प्रकार वह जिस बचपन को बरसों से खोज रही थीं वह उन्हें वापस मिल गया।
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बा खाओ बजे से बच्चों की किस आदत का पता चलता है??
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