Hindi, asked by owezEMÃRŤÏ, 1 year ago

kavita on desh bhakti

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Answered by lokeshloki
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देश मेरा प्यारा, दुनिया से न्यारा
धरती पे जैसे स्वर्ग है।
जां भी इसे उत्सर्ग है।

ऊँचे पहाड़ों में फूलों की घाटी।
प्यारे पठारों में खनिजों की बाटी।
माटी में मोगरा-गंध है।
बजता हवाओं में छंद है।
घन-घन घटाएँ, मुझको बुलाएँ।
हरे-भरे खेतों में सरगम बजाएँ।
बूँदों की भाषा सुरीली।
गीली हुई तीली-तीली।
जहाँ दिखे झरना, वहीं धरूँ धरना।
नदियों के पानी में चाहूँ मैं तरना।
मन ये गगन में उड़े रे।
ऐसे ये जी से जुड़े रे।

दूर मेरा देश ये गाँवों में बसता।
मुझको पुकारे है एक-एक रस्ता।
पैठा पवन मेरे पाँव में।
आना जी तू भी गाँव में।
देश मेरा प्यारा, दुनिया से न्यारा।
धरती पर जैसे स्वर्ग है।
जाँ भी इसे उत्सर्ग


owezEMÃRŤÏ: tnq bro
Answered by Anonymous
1

Answer:

ऐ मेरे प्यारे वतन

ऐ मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे बिछड़े चमन

तुझ पे दिल कुरबान

तू ही मेरी आरजू़, तू ही मेरी आबरू

तू ही मेरी जान

तेरे दामन से जो आए

उन हवाओं को सलाम

चूम लूँ मैं उस जुबाँ को

जिसपे आए तेरा नाम

सबसे प्यारी सुबह तेरी

सबसे रंगी तेरी शाम

तुझ पे दिल कुरबान

माँ का दिल बनके कभी

सीने से लग जाता है तू

और कभी नन्हीं-सी बेटी

बन के याद आता है तू

जितना याद आता है मुझको

उतना तड़पाता है तू

तुझ पे दिल कुरबान

छोड़ कर तेरी ज़मीं को

दूर आ पहुँचे हैं हम

फिर भी है ये ही तमन्ना

तेरे ज़र्रों की कसम

हम जहाँ पैदा हुए उस

जगह पे ही निकले दम

तुझ पे दिल कुरबान

hope this helps u mate

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