Kavita on nature please recommend any good Kavita.
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Poem on Nature in Hindi #1
चाहे बहे हवा मतवाली
चाहे बहे हवा लू वाली
फूल हमेशा मुस्काता
पत्तों की गोदी में रहकर
फूल हमेशा मुस्काता
कांटो की नोकों को सहकर
फूल हमेशा मुस्काता
ऊपर रह डाली पर खिलकर
फूल हमेशा मुस्काता
नीचे टपक धूल में मिल कर
फूल हमेशा मुस्काता
रोना नहीं फूल को आता
फूल हमेशा मुस्काता
इसलिए वह सबको भाता
फूल हमेशा मुस्काता |
Poem on Nature in Hindi #2
जब तपता है सारा अंबर
आग बरसती है धरती पर|
फैलाकर पत्तों का छाता
सब को सदा बचाते पेड़|
पंछी यहां बसेरा पाते
गीत सुना कर मन बहलाते|
वर्षा, आंधी, पानी में भी
सबका घर बन जाते पेड़|
इनके दम पर वर्षा होती
हरियाली है सपने बोती|
धरती के तन मन की शोभा
बनकर के इठलाते पेड़|
जितने इन पर फल लग जाते
ये उतना नीचे झुक जाते|
औरों को सुख दे कर के भी
तनिक नहीं इतराते पेड़|
हमें बहुत ही भाते पेड़
काम सभी के आते पेड़|
Poem on Nature in Hindi #3
अगर पेड़ भी चलते होते
कितने मजे हमारे होते
जहां कहीं भी धूप सताती
उसके नीचे बैठ सुस्ताते
बांध तने में उसके रस्सी
चाहे जहां कहीं ले जाते
लगती जब भी भूख अचानक
तोड़ मधुर फल उसके खाते
आती कीचड़ बाढ़ कहीं तो
झट उसके ऊपर चढ़ जाते
जब कभी वर्षा हो जाती
उसके नीचे हम छिप जाते
अगर पेड़ भी चलते होते
कितने मजे हमारे होते
Explanation:
agar poems achi Lage to stars de Dena is ans ko
Answer:
I will recommed you to choose Poem of Subhdra Kumari Chauhan or of Harivansh Rai Bachchan...:-)