Hindi, asked by ishiqua90, 1 year ago

Kerala tragedy par nibandh​

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Answered by Anonymous
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Answer:

2018 Kerala floods - Wikipedia

On 8 August 2018, severe floods affected the south Indian state of Kerala, due to unusually high rainfall during the monsoon season.

Cause: Low pressure; Heavy rain; Discharges; Landslide

Date: July 2018 – August 2018

Deaths: 483 dead, 14 went missing

Property damage: ₹400 billion (US$5.8 billion) (estimatedFrom 8 August 2018, severe floods affected the south Indian state of Kerala, due to unusually high rainfall during the monsoon season. It was the worst flood in Kerala in nearly a century. Over 483 people died, and 14 are missing.The answer to query is that Kerala is perfectly safe and you can travel to the destinations of your choice as the floods have not caused much damage to the tourist places. ... India has long been touted as an unsafe tourist destination especially for solo travellers, women travellers, foreigners, etc

Answered by sagarkumar94
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बाढ़ की चपेट में केरल (फोटो साभार - आउटलुक)देश के दक्षिणी-पश्चिमी हिस्से में मालाबार तट पर करीब 39000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में एक बेहद खूबसूरत सूबा बसा हुआ है। नाम है केरल। इस राज्य की खूबसूरती ही है कि इसे ‘ईश्वर का अपना देश’ भी कहा जाता है।

ईश्वर का यह अपना देश बीते चार हफ्ते से राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय मीडिया में सुर्खियाँ बना हुआ है क्योंकि यहाँ सदी की सबसे भयावह बाढ़ ने जबरदस्त कहर बरपाया है।

करीब 3.33 करोड़ की आबादी वाला केरल कई सूचकांकों में दूसरे राज्यों से बेहतर है। प्रदूषण के मामले में भी दिल्ली, मुम्बई जैसे शहरों की तुलना में इस राज्य की चर्चा कम ही होती है। इस लिहाज से यह कल्पनातीत थी कि केरल कभी सदी की सबसे भयावह बाढ़ से रूबरू होगा। इसलिये जब बाढ़ आई, तो आम आवाम से लेकर सरकार तक को एकबारगी समझ नहीं आया कि यह कैसे हो गया और अब क्या करना चाहिए?

1924 में भी आई थी भयावह बाढ़

केरल की बाढ़ पर चर्चा हो रही है, तो यह भी बता दें कि आज से करीब 95 वर्ष पहले (जुलाई 1924 में) भी केरल में भयावह बाढ़ आई थी, जिसे ‘99 की भयावह बाढ़’ भी कहा जाता है।

99 की बाढ़ इसलिये कहा जाता है, क्योंकि मलयाली कैलेंडर के अनुसार वह साल 1099 (अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 1924) था।




क्यों याद आई गाडगिल रिपोर्ट

केरल में बाढ़ को लेकर जितनी थ्योरियाँ दी जा रही हैं, उनमें एक अहम बिन्दू है गाडगिल रिपोर्ट की अनदेखी। गाडगिल रिपोर्ट असल में वेस्टर्न घाट्स इकोलॉजी एक्सपर्ट पैनल (western ghats ecology expert panel) की रिपोर्ट है। इस पैनल के चेयरमैन पर्यावरणविद माधव गाडगिल थे, जिस कारण पैनल की रिपोर्ट को गाडगिल रिपोर्ट भी कहा जाता है।

पैनल ने अगस्त 2011 में रिपोर्ट जमा की थी, जिसमें कई अहम अनुशंसाएँ की गई थीं, लेकिन उस वक्त रिपोर्ट का खूब विरोध किया गया था।

गाडगिल रिपोर्ट में खनन पर प्रतिबन्ध लगाने की वकालत की गई थी और पहाड़ी ढलानों पर खेती नहीं करने को कहा गया था। इसके अलावा पहाड़ी ढलानों पर ज्यादा-से-ज्यादा पेड़-पौधे लगाने की सलाह दी गई थी और निर्माण कार्यों पर रोक लगाने की अनुशंसा की गई थी।




बाढ़ का फैलता दायरा

केरल में तबाही मचाने के बाद अब कर्नाटक में बाढ़ का कहर शुरू हो गया है। कर्नाटक में अब तक बाढ़ से एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और तकरीबन 5 हजार लोग बेघर हो गए हैं।


क्या है समाधान

बिहार और बंगाल व कुछ अन्य राज्यों की बात करें, तो यहाँ बाढ़ की वाजिब वजहें हैं। नतीजतन लोग भी बाढ़ को बर्दाश्त करने के आदि हो गए हैं। इन राज्यों की बाढ़ के पीछे वनों की कटाई या अन्य वजहें नहीं हैं।

है।

 

 

 


 


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