खींच दो अपने खूँसे ज़मी पर लकीर
इस तरफ आने पाए न रावर् कोई
तोड दो हार्थ अगर हार्थ उठने लगे
छू न पाए सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्ही लक्ष्मर् साधर्थयों
अब तुम्हारे हवाले वतन साधर्थयों |
(i) इस पद्यांश के कवव का नाम है –
(क).शैलेंि (ख).गुलज़ार
(ग).कै फी आिमी (घ).वीरेन डंगवाल
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(ग) कैफ़ी आज़मी
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