(ख) फिर गिल्लू के जीवन का प्रथम बसंत आया। नीम-चमेली की गंध मेरे कमरे
में हौले-हौले आने लगी। बाहर की गिलहरियाँ खिड़की की जाली के पास
आकर चिक-चिक करके न जाने क्या कहने लगी।
इस मार्ग से गिल्लने बाहर जाने पर सचमुच हो मुक्ति की साँस ली
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r u jnv stident
aaj pwt chl rha hai kya
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