- (ख) हम लोग कच्ची मिट्टी की मूर्ति के समान रहते हैं, जिसे जो जिस रूप का चाहे उस रूप का करे-चाहे राक्षस बनावे, चाहे देवता। ऐसे लोगों का साथ करना हमारे लिए बुरा है जो हमसे अधिक दृढ़ संकल्प के हैं। क्योंकि हमें उनकी हर एक बात बिना विरोध के मान लेनी पड़ती है। पर ऐसे लोगों का साथ करना और बुरा है, जो हमारी ही बात को ऊपर रखते हैं, क्योंकि ऐसी दशा में न तो हमारे ऊपर कोई दबाव रहता है, और न हमारे लिए को सहारा रहता है। (क) गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए। (ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए। (ग) 'हम लोग कच्ची मिट्टी की मूर्ति के समान रहे हैं'-इस वाक्य में हमल से किसकी ओर संकेत किया गया है ? -
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Mr prem chand for hindi sahitya.
हम लोग कच्ची मिट्टी की मूर्ति के समान रहते हैं, जिसे जो जिस रूप का चाहे उस रूप का करे-चाहे राक्षस बनावे, चाहे देवता। ऐसे लोगों का साथ करना हमारे लिए बुरा है जो हमसे अधिक दृढ़ संकल्प के हैं। क्योंकि हमें उनकी हर एक बात बिना विरोध के मान लेनी पड़ती है। पर ऐसे लोगों का साथ करना और बुरा है, जो हमारी ही बात को ऊपर रखते हैं, क्योंकि ऐसी दशा में न तो हमारे ऊपर कोई दबाव रहता है, और न हमारे लिए को सहारा रहता है।
(क) गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर : इसका गद्यांश के पाठ का नाम 'मित्रता' है और इसके लेखक आचार्य रामचंद्र शुक्ल हैं।
(ख) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।
उत्तर : गद्यांश में कोई भी रेखांकित अंश स्पष्ट नहीं हो रहा है। गद्यांश की व्याख्या इस प्रकार है।
लेखक कहते हैं कि हम सभी मनुष्य कच्ची मिट्टी की मूर्ति के समान होते हैं और हमें हमारे आसपास का वातावरण ही या तो हमें देवता समान बना देता है या राक्षस समान बना देता है अर्थात हम अपनी परिस्थितियों के अनुसार ही सद्गुणों और दुर्गुणों को ग्रहण कर लेते हैं। जो लोग हमसे अधिक मजबूत हैं उनकी बात हमें बिना विरोध के माननी पड़ती है, लेकिन ऐसे लोगों का साथ हमारे लिए बुरा है, लेकिन उन लोगों का साथ और अधिक बुरा है जो हमारी बात को ऊपर रखते हैं क्योंकि इससे हमारे ऊपर दबाव बढ़ जाता है और हम बेफिक्र हो जाते हैं।
(ग) 'हम लोग कच्ची मिट्टी की मूर्ति के समान रहे हैं'-इस वाक्य में हमल से किसकी ओर संकेत किया गया है ?
उत्तर : हम लोग कच्ची मिट्टी की मूर्ति के समान है। इस वाक्य में हम सभी मनुष्यों के लिए संकेत किया गया है।
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