ख) कवि तन-मन और जीवन समर्पित करके भी संतुष्ट क्यों नहीं है?
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ख) कवि तन-मन और जीवन समर्पित करके भी संतुष्ट क्यों नहीं है?
यह प्रश्न और भी दूँ कविता से लिया गया है| यह कविता रामावतार त्यागी के द्वारा लिखी गई है|
कवि ने कविता में देश के प्रति भक्ति की लगाव की भावना का वर्णन किया है|
कवि के हृदय में स्वदेश प्रेम का महासागर जाग रहा है| कवि कहता की मैं अपना तन-मन-धन जीवन सब कुछ देश को अर्पित करना चाहता हूँ , फिर भी मेरे मन सन्तोष नहीं होता है क्योंकि कवि सोचते है कि मैं अपनी मातृभूमि का कर्ज कभी चुका नहीं सकता | मातृभूमि ने हमें सब कुछ दिया है , मेरे पास ऐसी कोई अमूल्य वस्तु नहीं है जिससे भी मैं मातृभूमि के ऋण उतार सकूं | इसी कारण कवि अपना सब कुछ अर्पित करके भी संतुष्ट नहीं है|
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