खा - खाकर कुछ पाएगा नहीं ,
न खाकर बनेगा अहंकारी ,
सम खा तभी होगा समभावी ,
खुलेगी साँकल बंद द्वार की ।
ANSWER THE FOLLOWING:
1. कवयित्री काव्यांश में क्या खाने की बात कर रही है ?
2. बंद दवार की साँकल से क्या अभिप्राय है ? मनुष्य इसे कैसे खोल सकता है ?
3 . काच्याश में क्या संदेश दिया गया हैं ?
Answers
Answered by
2
Answer:
Explanation:Khane ki baat yahan corruption se h v moh maya se h
Band dawar ki sakal mukti se h. Moh maya ko chod kar hum mukti ki aur ja sakte hain.
Kavsans se hame sandesh milta h ki hame apni indriyo par kaabu rakhna chaiye v ahankar ko choad dena chaiye.
Answered by
0
Answer:
यय याय tight and Raja raha hu or something else in your own business is to make
Similar questions