Hindi, asked by sajgotraishan, 5 months ago

खा खाकर कुछ पाएगा नहीं,
ना खाकर बनेगा अहंकारी।
सम खा तभी होगा समभावी
खुलेगी सांकल बंद द्वार की।

Answers

Answered by Anonymous
14

चलो आज फिर थोडा मुस्कुराया जाये,

बिना माचिस के कुछ लोगो को जलाया जाये.....!!!

Answered by yashsharmajps
1

Answer:

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Explanation:

उत्तर:- प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री मनुष्य को ईश्वर प्राप्ति के लिए मध्यम मार्ग अपनाने को कह रही है। कवयित्री कहती है कि मनुष्य को भोग विलास में पड़कर कुछ भी प्राप्त होने वाला नहीं है। मनुष्य जब सांसारिक भोगों को पूरी तरह से त्याग देता है तब उसके मन में अंहकार की भावना पैदा हो जाती है। अत:भोग-त्याग, सुख-दुःख के मध्य का मार्ग अपनाने की बात यहाँ पर कवयित्री कर रही है।

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