Science, asked by abhishekdas8515, 11 months ago

खुले में शौच वाले स्थलों पर रहने वाले प्राणियों के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

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Answered by priyanshu150106
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Answer:

दुनिया में सर्वाधिक लोग दूषित जल से होने वाली बीमारियों से पीड़ित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकड़े बताते हैं कि दुनिया में प्रतिवर्ष करीब 6 करोड़ लोग डायरिया से पीड़ित होते हैं, जिनमें से 40 लाख बच्चों की मौत हो जाती है। डायरिया और मौत की वजह प्रदूषित जल और गंदगी ही है। अनुमान है कि विकासशील देशों में होने वाली 80 प्रतिशत बीमारियां और एक तिहाई मौतों के लिए प्रदूषित जल का सेवन ही जिम्मेदार है। प्रत्येक व्यक्ति के रचनात्मक कार्यों में लगने वाले समय का लगभग दसवां हिस्सा जलजनित रोगों की भेंट चढ़ जाता है। यही वजह है कि विकासशील देशों में इन बीमारियों के नियंत्रण और अपनी रचनात्मक शक्ति को बरकरार रखने के लिए साफ-सफाई, स्वास्थ्य और पीने के साफ पानी की आपूर्ति पर ध्यान देना आवश्यक हो गया है। निश्चित तौर पर साफ पानी लोगों के स्वास्थ्य और रचनात्मकता को बढ़ावा देगा। कहा भी गया है कि सुरक्षित पेयजल की सुनिश्चितता जल जनित रोगों के नियंत्रण और रोकथाम की कुंजी है।

ऐसे में हमें मर्यादापूर्वक शौच निपटाने की सही सोच के साथ शौचालय उपलब्ध होना ही चाहिए। सरकार निर्मल भारत अभियान, सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान आदि से शौचालय बनवाना चाहती है और इसके लिए काफी बड़े बजट का प्रावधान किया गया है, लेकिन सफाई-स्वच्छता पर खर्च होने वाला धन यदि केवल ‘शौच गृह’ बनाने तक सीमित है तो हम मल प्रबंधन, खुले में शौच समस्या को ‘ट्रांसफर’ भर कर रहे हैं। न की इस समस्या का पूरा निराकरण कर रहे हैं। गांधीजी के अनुसार कचरा वह चीज है, जो अपने यथास्थान नहीं है। अगर वह अपने ‘उचित’ स्थान पर पहुंच जाए तो वह हमारे लिए सम्पत्ति हो जाती है। पर सीवेज या फ्लश जैसे इन तरीकों से मल खेती का बल नहीं बन पाता। इन तरीकों में उड़ाऊपन, फिजूलखर्ची का दोष है। मल की खाद यानी सोनखाद जैसी अपने हाथ की खाद व्यर्थ गंवाना बेवकूफी और दुर्दैव का लक्षण है।

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Answered by Akankshakamal
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Answer:wah prani bimaar par jate hain unki tabiat kharaab io jaati haii aur kaye baar wo mar jaante hai bimaree see

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