खेल तमाशा दिखा कर या अन्य किसी ऐसे तरीके से पेट भरने वाले किसी हमउम्र बच्चे को देखकर आपके मन में क्या विचार उठते हैं | अपने शब्दों में वर्णन कीजिए |
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विषय : खेल तमाशा दिखा कर या अन्य किसी ऐसे तरीके से पेट भरने वाले किसी हमउम्र बच्चे को देखकर मन में उठने वाले विचार।
यह हम जानते है की हर व्यक्ति को जीवित रहने के लिए रोजगार की आवश्कता होती है ताकि वह अपना पेट भर सके।
हर रोज की तरह में पाठशाला (स्कूल) के लिए अपनी स्कूलबस से जा रहा था। हमारी बस जब पाठशाला के करीब पहुंची तब एक पास ही के मैदान में चार बच्चे जो करीब करीब मेरिही उम्र के थे। वो उस मैदान में खेल दिखा रहे थे। एक बच्चा रस्सी पर चल रहा था और एक डमरू बजा रहा था, और बाकी दो रस्सी के आजू बाजु गुलाटीया मार रहे थे। यह दृश्य देखकर मेरे मन में अजीब अजीब विचार आने लगे। ये सब यह खेल क्यों दिखा रहे है ? क्या ये पाठशाला में जाते है ? ये सब इतनी जोखिम भरा खेल क्यों करते है ? में अपने मित्र से पूछने लगा : विजय ये सब इतनी जोखिम भरा काम क्यों करते है ? इन सब को शिक्षा का अधिकार नहीं है ? क्या इन्हे कोई यह काम करने के लिए मजबूर करता है ? विजय क्या हम इनकी किसी प्रकार से मादत कर सेन है। क्या इन सबका मन नहीं कराता होगा की हमारी पाठशाला में पढ़े। इन्हे यह खेल करते वक्त कितना कष्ट होता होगा। विजय मुझे यह समझ नही आता की हमारे प्रशासन को कब यह बच्चों की मजदूरी खटकेगी।
{ विजय कहता है }
अरे रमेश शायद ये उनकी मजबूरी हो। गरीबी हर इंसान को जीना सीखा देती है। अगर वो ये काम न करे तो अपना पेट कैसे भरेंगे! हमारे प्रशासन को उनकी मदत करने के लिए ठोस कदम उनठाने चाहिए।
विजय मुझे यह देखकर बहुत बुरा लग रहा है। हम आज अपने शिक्षको तथा मित्रोंको, प्रशासन को पत्र लिखकर यह बालमजदूरी को रोकने के लिए आवेदन करेंगे।