खाने की किन-किन चीजों को सोचकर ही लेखिका के मुंह में पानी भर आता है
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¿ खाने की किन-किन चीजों को सोचकर ही लेखिका के मुंह में पानी भर आता है?
➲ लेखिका के मन में मुँह में पेस्ट्री और चॉकलेट आदि की बात सोच पानी भर आता था। ‘बचपन’ पाठ में लेकर का कृष्णा सोबती अपने बचपन के अनुभवों को का वर्णन करते हुए कहती हैं कि उन्हें अपने बचपन के दिन याद आते हैं, जब उन्हें हफ्ते में एक बार चॉकलेट खरीदने की छूट थी। वह जी-भरकर चॉकलेट पेस्ट्री लेती थीं और घर लौट कर आराम से बिस्तर में लेट कर मजे मजे से खाती।
शिमला के काफ़ल भी लेखिका को बहुत याद आते थे। खट्टे-मीठे, एकदम लाल-गुलाबी, रस भरे जिनके बारे में सोच कर ही उनके मुँह में पानी भर आता था। इसके अलावा आग पर भूने हुए चेस्टनट भी लेखिका को बहुत पसंद थे। जो छिलके उतारकर खाए जाते। उसकी बात सोच कर भी लेखिका के मुँह में पानी भर आता था। चना जोर गरम और अनार दाने का चूर्ण उनकी बात सोच कर उनके मुँह में पानी भर आता था।
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